गोवा नाइट क्लब अग्निकांड—सुरक्षा की पोल और व्यवस्था की चूक का कड़वा सच
गोवा के नाइट क्लब में हुआ भीषण अग्निकांड सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि हमारी व्यवस्थागत लापरवाही और भ्रष्टाचार के उस नेटवर्क का चेहरा है, जिसके सहारे बिना मानक पूरे किए भी किसी भी संस्थान को लाइसेंस दे दिया जाता है। यह घटना साफ बताती है कि सुरक्षा मानकों को कागज़ों में पूरा दिखाना और वास्तविकता में उन्हें नजरअंदाज कर देना, हमारे सिस्टम की सबसे बड़ी कमजोरी बन चुका है।
अग्निकांड ने यह भी उजागर किया कि जब वित्तीय लेन-देन की भाषा बोलने वाला भ्रष्टाचार सक्रिय होता है, तो नियम, कानून और मानव जीवन की कीमत सब पीछे छूट जाते हैं। यही वजह है कि ऐसे क्लब बिना पर्याप्त आपात निकास, फायर अलार्म, अग्निशमन उपकरण और सुरक्षा प्रशिक्षण के वर्षों तक चलते रहते हैं।
हादसे के बाद देशभर में सरकारें सतर्क जरूर हुई हैं, लेकिन केवल जागना काफी नहीं इस जागरूकता को ठोस कार्रवाई में बदलना होगा। जरूरत है कि
- लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी हो।
- सुरक्षा ऑडिट नियमित और ईमानदारी से हों।
- भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों व संचालकों पर सख्त दंड हो।
- भीड़-भाड़ वाले मनोरंजन स्थलों के लिए सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।
यह समय है कि सरकारें केवल दिखावटी निरीक्षण न करके, वास्तविक सुधार लागू करें। हर अग्निकांड के बाद अफसोस जताने की बजाय व्यवस्था को ऐसा बनाया जाए कि किसी भी व्यक्ति की जान लापरवाही या रिश्वतखोरी की भेंट न चढ़े।
गोवा की यह त्रासदी हमें चेतावनी देती है—अगर अब भी सिस्टम नहीं सुधरा, तो हादसे दोहराए जाएंगे और कीमत आम जनता को चुकानी पड़ेगी।




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