मेसेंजर की अनाम आत्माएँ और समाज का विवर्तन
डिजिटल द्वार पर दस्तक देती संवेदनाएँ, टूटते संबंधों की कहानियाँ और बदलते सामाजिक मानस का मार्मिक चित्र मेसेंजर के आभासी प्रांगण में कुछ अनाम आत्माएँ प्रतिदिन प्रातः और सायंकाल ऐसे उतर आती हैं, मानो मेरे मन-लोक के द्वार उनकी प्रतीक्षा में ही सदैव खुले रहते हों। उनके संदेशों का प्रवाह इतना निरंतर, इतना अविरल होता […]

